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अगर आप डेनिम ब्लू जींस के शौक़ीन हैं तो कभी न कभी आपके ज़हन में भी ये ख़्याल ज़रूर आया होगा कि हर डेनिम जींस में सामने की पॉकेट के पीछे एक छोटा सा पॉकेट क्यों होता है? अब इस सवाल का जवाब 1873 में दुनिया की पहली डेनिम जींस बनाने वाली कंपनी लिवाइ स्ट्रास एंड कंपनी ने ख़ुद दिया है.
इस अमेरिकी कंपनी ने एक ब्लॉग पोस्ट में बताया कि इस पॉकेट को इसलिए बनाया गया था ताकि अमेरिकी काऊबॉय इसमें अपनी घड़ियों को सुरक्षित रख सकें. जी हाँ, इस छोटे से पॉकेट का आविष्कार अमेरिकी काऊबॉय के पॉकेट घड़ी रखने के शौक़ के चलते हुआ था और तब इसे वाच पॉकेट नाम दिया गया था.
मजे की बात है कि इसके बाद से अब तक डेनिम जींस बनाने वाली कंपनियों की संख्या अनगिनत हो गई है और ज्यादातर कंपनियां शायद इस छोटे पॉकेट की उपयोगिता को जाने बिना ही इसे जारी रखे हुए हैं. आज पॉकेट घड़ियों का ज़माना नहीं रहा बावजूद इसके डेनिम जींस मे छोटी पॉकेट कायम है.
अट्ठारहवीं सदी में काऊबॉय का जंजीर वाली घड़ियों का प्रयोग आम बात थी. आपने 'गुड बैड एंड अगली' जैसी कई हॉलीवुड वेस्टर्न फ़िल्मों में काऊबॉय को ऐसी घड़ियों को रखते देखा होगा.
अगर फिर भी याद न आए तो महात्मा गांधी की जंजीर वाली घड़ी तो आपको जरूर याद होगी.
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आजकल किसी जींस में कम से कम पांच पॉकेट जरूर होते हैं. दो पीछे, दो आगे और एक सामने वाली वॉच पॉकेट. लेकिन लिवाइस के अनुसार पहली जींस में केवल चार पॉकेट थे. एक पॉकेट पीछे, दो आगे और एक वाच पॉकेट.
लिवाइस ने बताया कि लोकप्रिय होने के बाद इस पॉकेट को फ्रंटियर पॉकेट, कॉन्डोम पॉकेट, क्वाइन पॉकेट, मैच पॉकेट और टिकट पॉकेट समेत कई नामों से पुकारा गया.