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नई दिल्लीः हममें से ज्यादातर लोग एटीएम कार्ड का इस्तेमाल करते हैं और जिनका बैंक में खाता होता है उनके पास एटीएम भी होता ही है. लेकिन एटीएम का एक और फायदा है जो देश की जनता को है ही नहीं. ये वो जानकारी है जो आपके बेहद काम की है. यदि किसी भी सरकारी या गैर सरकारी बैंक का एटीएम आपके पास है तो आपका उस बैंक में अपने आप ही दुर्घटना बीमा हो गया है. ये बीमा 25,000 रुपये से लेकर 5 लाख रुपये तक का होता है. इस योजना को शुरु हुई कई साल हो गए हैं लेकिन 90-95 फीसदी लोगों को इस बात की जानकारी ही नहीं है क्योंकि बैंक कभी खुद ये जानकारी ग्राहकों को नहीं देते हैं.
इस स्कीम के मुताबिक आंशिक विकलांगता से लेकर मृत्यु होने तक अलग अलग तरह के मुआवजे का प्रावधान दिया गया है. इसके लिए एटीएम धारक को कोई पैसा भी जमा नहीं कराना होता है. बस यदि आपके पास एटीएम है तो उस बैंक में ऑटोमैटिक दुर्घटना बीमा का फायदा आपको मिल सकता है. नियम ये है कि अगर एटीएम धारक की किसी दुर्घटना में मौत हो जाती है तो उसके घरवालों को उस बैंक से मुआवजा मिलेगा. ये योजना बैंक के ग्राहकों के लिए ही होती है लेकिन बैंक कभी भी इस बात की जानकारी ग्राहक को नहीं देते.
जानें किस स्थिति में कितना मिल सकता है मुआवजा
अगर आपके पास साधारण एटीएम है तो 1 लाख रुपये तक का मुआवजा परिवार वालों को मिलेगा और अगर कार्ड मास्टरकार्ड है तो ये मुआवजा 2 लाख रुपये तक हो सकता है. आंशिक विकलांगता की सूची में अगर एक हाथ या एक पैर खराब होता है तो बैंक से 50,000 रुपये का मुआवजा मिल सकता है. वहीं दोनों हाथ या दोनों पैर खराब होने की सूरत में भी 1 लाख रुपये का मुआवजा एटीएम धारक को मिल सकता है.
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अलग-एलग एटीएम टाइप पर अलग-अलग बीमा राशि
मास्टर कार्ड धारक को 50 हजार रुपये का बीमा और क्लासिक एटीएम पर 1 लाख रुपये तक का बीमा होता है. सभी वीजा कार्ड पर 2 लाख रुपये का बीमा और मास्टर मित्र कार्ड पर 25 हजार रुपये का बीमा होता है. वहीं प्लैटिनम कार्ड पर 2 लाख रुपये और मास्टर प्लैटिनम कार्ड पर 5 लाख रुपये तक का बीमा आपको बैंक से मिल सकता है.
जानें अपने हक को
आपके लिए सलाह यही है कि बैंक में अपने एटीएम के बारे में पूछताछ करें और इस बात की जानकारी मांगे कि आपके एटीएम कार्ड पर आपको कितना बीमा मिला है. बैंक अगर इंकार करे तो उसे बताएं कि आपको सरकार द्वारा इस योजना की पूरी जानकारी है. अगर दुर्घटना या एटीएम धारक की मृत्यु हो जाती है तो कार्ड टाइप के अनुसार मिलने वाली बीमा राशि की मांग करें और अगर बैंक इंकार करता है तो कंज्यूमर फोरम में जाकर अपना हक ले सकते हैं. ज्यादातर बैंक सोचते हैं कि ग्राहक को इस नियम की जानकारी ही नहीं है तो वो उसके बीमा की मिलने वाली राशि को दबा सकते हैं लेकिन आप अपनी इस जानकारी का इस्तेमाल करें और बैंक से बीमा की राशि वसूल करें.